रिश्तों में बदलाव
पहले के रिश्ते:-
मम्मी से शुरुआत दिन की,
मम्मी से ही रात ढले.....
सारे दिन का लेख जोखा, आकार मां के पास खुले ।
मम्मी आज क्या बना है?
बड़ी तेज़ भूख लगी है,
अकसर बाहर से आते ही कहते थे.......।
दो पल बैठ साथ में अपनों के
अपने को खुशनसीब कहते थे,
और अपने मैं खुश रहते थे।
सुकुन मिलता तभी था,
जब रिश्ते मैं रिश्ते बहते.....
माँ - बाप, भाई - बहन के बिना,
जब सब अपने को अधूरा कहते थे।
आज का समय:-
आज बदला बहुत समां है,
आपको को पराया हमने,
और परयों को अपना मान लिया।
मोबाइल 📱 को दुनिया अपनी
और माँ बाप को सबने नकार दिया।
वो माँ जो रोज़ निहारती अपनों की राह को....
रोज़ मिलकर भी , खुद को कहीं बड़ी दूर पाती है।
न जाने कहां खो गए रिश्ते,
डिजिटलाइजेशन की दुनिया में....
ममता लुटाने को प्यासी वो आंखें......
जो ये कहने को मजबूर हुई
कि
बेटा..
मुझे भी सिख देना इस मोबाइल को चलाना,
तुझसे बात कर पाउंगी
ज्यादा तो न सही ,
पर अपनी ममता तुझ पर लुटाऊंगी।
कुछ यूं बदली रिश्तों की कहानी है,
अपनों को पीड़ा देने की,
आज किसी अपने ने ही ठानी है।
अनु कौंडल 📚🖋
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Gunjan Kamal
30-Jun-2022 01:35 AM
बेहतरीन
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Anu koundal
30-Jun-2022 10:24 AM
धन्यवाद जी
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Swati chourasia
29-Jun-2022 06:32 PM
बहुत खूब 👌👌
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Anu koundal
30-Jun-2022 10:25 AM
🙏🙏🙏
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Shnaya
29-Jun-2022 03:55 PM
बिल्कुल सही
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Anu koundal
29-Jun-2022 04:22 PM
जी आभार
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